उत्तराखंड

बदरीनाथ धाम के कपाट 20 नवम्बर को होंगे बंद

बदरीनाथ की महाभिषेक पूजा के बाद शीतकाल में वेद ऋचाओं का पाठ बंद हो गया। वेद उपनिषदों को सम्मानपूर्वक मंदिर संरक्षण में रखा गया। बदरीनाथ के धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल ने बताया कि वेद मंत्रों की ऋचाओं की प्राचीन आठ शैलियां हैं।

वेद मंत्रों की प्राचीन शैली में ही आज भी बदरीनाथ धाम में वेद पाठ होते हैं। प्रतिदिन भगवान बदरीनाथ को वेद मंत्रों का एक अध्याय अर्पित किया जाता है। ग्रीष्मकाल में छह माह तक धाम में इन अध्यायों को पांच बार पढ़ने की परंपरा है। यह परंपरा आदि गुरु शंकराचार्य ने शुरू की थी। देवस्थानम बोर्ड के मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ ने बताया कि बदरीनाथ धाम में बृहस्पतिवार को धार्मिक परंपरा के अनुसार खडग पुस्तक पूजन के बाद वेद ऋचाओं का वाचन बंद हो गया। 19 नवंबर को माता लक्ष्मी का आह्वान और कढ़ाई भोग का आयोजन हुआ और 20 को बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे।

इस मौके पर रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी, देवस्थानम बोर्ड के उप मुख्य कार्यकारी अधिकारी बीडी सिंह, धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल,सुनील तिवारी सहित कई तीर्थयात्री मौजूद थे। 1479 तीर्थयात्रियों ने किए बदरीनाथ धाम के दर्शन

बृहस्पतिवार को 1479 तीर्थयात्रियों ने भगवान बदरीनाथ के दर्शन किए। अभी तक 185848 तीर्थयात्री बदरीनाथ धाम के दर्शन कर चुके हैं। केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट शीतकाल के लिए बंद हो चुके हैं, जबकि बदरीनाथ धाम के कपाट 20 नवंबर को शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे।

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