उत्तराखंड के इन 12 कोविड अस्पतालों में होगा ब्लैक फंगस का इलाज, इधर-उधर भटकने से बचेंगे मरीज़, यहां देखें पूरी लिस्ट
ब्लैक फंगस को लेकर राज्य सरकार भी काफी दबाव में है। इसी का नतीजा है कि सरकार को उपचार के लिए कोविड के उपचार के लिए पूरी तरह से समर्पित 12 अस्पतालों में ब्लैक फंगस के रोगियों को इलाज देने का आदेश दिया गया है।
ब्लैक फंगस के 118 मरीज आ चुके सामने
स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी हेल्थ बुलेटिन के मुताबिक देहरादून, ऊधमसिंह नगर और नैनीताल जिले में ब्लैक फंगस मरीजों की संख्या 118 हो गई है। वहीं, प्रदेश में अब तक नौ मरीजों की मौत हुई है। अब तक केवल पांच लोग ही उपचार के बाद घर लौट सके हैं।
यह है स्थिति
जिला. मरीज मौत
देहरादून 114 07
ऊधमसिंह नगर 03 01
नैनीताल. 01 01
कुल. 118 09
ब्लैक फंगस को लेकर भ्रांतियों पर न दें ध्यान
कोरोना के साथ अब ब्लैक फंगस अब लोगों के लिए परेशानियां खड़ी कर रहा है। हिमालयन अस्पताल जौलीग्रांट के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एसएल जेठानी ने कहा कि ब्लैक फंगस भले ही पैर पसार रहा हो। लेकिन घबराने की बात नहीं है। रोगी को छूने अथवा उसके संपर्क में आने से यह नहीं फैलता है। उन्होंने बताया कि म्यूकोरमाइकोसिस एक प्रकार का फफूंद संक्रमण है। जो सामान्य: कम ही देखने को मिलता है। यह बीमारी मुख्यत: नाक और साइनेस, आंख, फेफड़े, आंत और त्वचा आदि अंगों को प्रभावित करती है। उन्होंने बताया तेज सिरदर्द, नाक बंद होना, नाक से खून, काले रंग की पपडी आना-नाक के आसपास कालापन, मुंह में काला चकता, आंखों से दो-दो दिखाई देना ब्लैक फंगस के प्रमुख लक्षण हैं। बताया कि हिमालयन अस्पताल में ब्लैक फंगस बीमारी के उपचार के लिए चिकित्सकों की संयुक्त टीम गठित की गई है। जांच की सभी सुविधाएं भी मुहैया कराई जा रही है।
तीन चरणों में होता है इलाज
डॉ. एसएल जेठानी ने बताया कि इसका उपचार तीन चरणों में होता है। पहले शुगर लेवल कंट्रोल और मरीज को एंटीफंगल दवा दी जाती है। पहले चरण में यह मुख्यत: डायबिटिज के मरीजों को हो रहा है। जिसे शुगर लेवल नियंत्रित करना जरूरी है। जिसे मेडिसिन विशेषज्ञ की देख रेख में किया जाता है। दूसरे चरण में एंटीफंगल दवा एमफोरटेरिसिन-बी तीन सप्ताह तक दी जाती है। गुर्दे पर प्रभाव न पड़े इसके लिए समय समय पर अस्पताल जाना जरूरी है। तीसरा चरण अति आवश्यक चरण ऑपरेशन है। मरीज के काले पड़े अंग को सर्जरी से निकाला जाता है। समय पर उपचार नहीं मिलने से मरीज की मृत्यु संभावना बढ़ जाती है।