विश्व प्रसिद्ध बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए हुए बंद
चारधाम यात्रा
बदरीनाथ धाम यात्रा का सफल समापन
कपाट बंद होने के अवसर पर मंदिर को फूलों से सजाया गया
गढ़वाल स्काउट के बैंड की भक्तिमय स्वर लहरियों के बीच पांच हज़ार से अधिक श्रद्धालु कपाट बंद होने के बने
साक्षीइस यात्रा वर्ष रिकॉर्ड सत्रह लाख साठ हजार से अधिक तीर्थयात्रियों ने भगवान बदरीविशाल किए दर्शन
प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के अवसर पर तीर्थयात्रियों को दी शुभकामनाएं
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के अवसर पर कहा इस यात्रा वर्ष रिकार्ड संख्या में चारधाम पहुंचे तीर्थयात्री
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष महेन्द्र भट्ट, और पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने श्री बदरीनाथ धाम यात्रा के समापन पर दी बधाई
श्रीबदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के अवसर पर श्री बदरीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय मंदिर समिति उपाध्यक्ष किशोर पंवार सहित मंदिर समिति के सदस्य, जिला प्रशासन, पुलिस सेना के अधिकारी रहे
मौजूद
बदरीनाथ धाम : श्री बदरीनाथ धाम के कपाट आज शनिवार शाम 3 बजकर 35 मिनट पर विधि-विधान से शीतकाल के बंद हो गये है। इस अवसर पर पांच हजार से अधिक श्रद्धालु कपाट बंद होने के साक्षी बने कपाट बंद होने के अवसर पर बदरीविशाल पुष्फ सेवा समिति ऋषिकेश द्वारा मंदिर को भब्य रूप से फूलों से सजाया गया था। कई स्थानों पर तीर्थयात्रियों के लिए भंडारे आयोजित किये गये थे।
आज प्रात: तीन बजे मंदिर खुल गया सुबह अभिषेक शुरू होते ही भगवान बदरीविशाल के दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला जारी रहा। राज भोग के पश्चात भी दर्शन होते रहे दिन के भोग के पश्चात, शायंकालीन आरती भी संपन्न हो गयी इसके बाद भगवान बदरीनाथ के कपाट बंद होने की प्रक्रिया शुरू हो गयी। रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी ने स्त्री भेष धारणकर मां लक्ष्मी को श्री बदरीनाथ मंदिर के गर्भगृह में प्रतिष्ठित किया। इससे पहले भगवान के सखा श्री उद्धव जी और देवताओं के खजांची श्री कुबेर जी सभा मंडप में आ गये थे इसके बाद जन्मकुंडली वाचन के बाद भगवान बदरीविशाल को महिला मंडल माणा द्वारा बुनकर तैयार किया गया घृत कंबल पहनाया गया इसी के साथ भगवान बदरीविशाल के कपाट ठीक शाम 3 बजकर 35 मिनट पर शीतकाल के लिए बंद हो गये। 19 नवंबर शाम को श्री कुबेर जी बदरीनाथ धाम के निकट बामणी गांव रात्रि प्रवास के लिए
प्रस्थान हो गये कल 20 नवंबर श्री कुबेर जी बामणी गांव से पांडुकेश्वर के लिए प्रस्थान करेंगे।
गौरतलब है कि बीते 15 नवंबर से भगवान बदरीविशाल की पंच पूजायें शुरू हो गयी थी।
पंचपूजाओं के अंतर्गत पहले दिन 15 नवंबर को श्री गणेश जी के कपाट बंद हो गये थे।
16 नवंबर को आदि केदारेश्वर जी के कपाट बंद हुए, 17 को खडग पूजन और वेद ऋचाओं का वाचन बंद हुआ। 18 को लक्ष्मी माता का पूजन और कढाई भोग लगाया गया। 19 नवंबर को भगवान बदरीविशाल के कपाट शीतकाल के लिए बंद हो गये।
प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के अवसर पर तीर्थयात्रियों को शुभकामनाएं प्रेषित की कहा कि इस बार चारधाम यात्रा रिकार्ड साढ़े छयालीस लाख से अधिक श्रद्धालु पहुंचे है। देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में जन सहयोग से श्री केदारनाथ धाम और श्री बदरीनाथ धाम में मास्टर प्लान का कार्य तेजी से आगे बढ़ रहा है जिससे आनेवाले यात्राकाल में तीर्थयात्रियों और आम जनमानस को पर्याप्त सुविधाएं मिलेंगी।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष महेन्द्र भट्ट और पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि प्रदेश सरकार के प्रयासों से यात्रा सफलतापूर्वक संपन्न हो रही है।
इस अवसर पर सहित बदरीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय, उपाध्यक्ष किशोर पंवार, जयंती प्रसाद कुर्मांचली, स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज,सदस्य श्रीनिवास पोस्ती,पुष्कर जोशी,भास्कर डिमरी, आशुतोष डिमरी, वीरेंद्र असवाल, नंदा देवी, जेपी सेमवाल, जिला प्रशासन पुलिस के अधिकारी, मंदिर समिति मुख्य कार्याधिकारी योगेन्द्र सिंह, यात्रा मजिस्टेट रामजीत शरण,ईओ सुनील पुरोहित,थानाध्यक्ष केसी भट्ट धर्माधिकारी राधाकृष्ण थपलियाल, मंदिर समिति मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़,आदि मौजूद रहे। इस अवसर गढ़वाल स्काउट के बैंड की भक्तिमय धुनों और जय बदरीविशाल की जय उदघोष से बदरीनाथ धाम गुंजायमान रहा।
इस अवसर पर मंदिर समिति अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कहा कि सामूहिक सहयोग समन्वय से यात्रा का सफलतापूर्वक समापन हुआ है।
कल 20 नवंबर को प्रात: 9 बजे श्री उद्धव जी और श्री कुबेर जी की डोली और रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी, सहित आदि गुरु शंकराचार्य जी की गद्दी योग बदरी पांडुकेश्वर हेतु प्रस्थान हो जायेगी।
श्री उद्धव जी और श्री कुबेर जी योग बदरी शीतकाल में पांडुकेश्वर में विराजमान रहेंगे जबकि 21 नवंबर सोमवार को आदि गुरु शंकराचार्य जी की गद्दी श्री नृसिंह मंदिर जोशीमठ में विराजमान हो जायेगी।
इसी के साथ योग बदरी पांडुकेश्वर और श्री नृसिंह बदरी में शीतकालीन पूजायें शुरू हो जायेंगी। श्री बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के साथ ही सभी निकटवर्ती मन्दिरों माता मूर्ति मंदिर माणा, भविष्य बदरी मंदिर सुभाई तपोवन के कपाट भी शीतकाल आज 19 नवंबर को बंद हो गये है। कुछ दिनों पूर्व श्री घंटाकर्ण जी मंदिर माणा के कपाट भी शीतकाल के लिए बंद हो गये है। मंदिर समिति के मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ ने बताया कि शुक्रवार रात्रि तक 1760649 तीर्थयात्री भगवान बदरीविशाल के दर्शन को पहुंचे।